Student Corner
"तत्कर्म यन्न बंधाय सा विद्या या विमुक्तये आयासायापरम कर्म विद्यान्या शिल्पनैपुणम।।"
अर्थ है कि कर्म वही है जो बंधन में ना बांधे, विद्या वही है जो मुक्त करे. अन्य सभी कर्म केवल निरर्थक क्रिया व अन्य सभी अध्ययन केवल कारीगरी मात्र हैं.
श्री विष्णु पुराण के प्रथम स्कंध के एकोनविंशो अध्याय में उल्लेखित श्लोक